मंत्री अनुराग ठाकुर ने 'भारत को बदनाम करने' के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर साधा निशाना

 

New Delhi: सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकतंत्र में गिरावट को लेकर 'कैम्ब्रिज का रोना, लंदन का झूठ' फैलाना बंद करना चाहिए और विदेशी मित्रों से मदद मांगने के बजाय भारत के मतदाताओं का सामना करना चाहिए।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी एक के बाद एक चुनाव हारने के बाद विदेशी धरती पर भारत की आलोचना करते रहे हैं। जबकि इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं उसके सहयोगी कांग्रेस को पराजित कर विजयी रहे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, '' चाहे वे (राहुल गांधी) अपने विदेशी मित्रों, विदेशी अखबारों और चैनलों से कितनी भी मदद मांगे, लेकिन विदेशी कभी भी भारत पर हावी नहीं हो सकते। आपको यहां मतदान करना है, इंग्लैंड या अमेरिका में नहीं।'' उन्होंने कहा, '' राहुल गांधी को 'कैम्ब्रिज का रोना, लंदन का झूठ' फैलाना बंद करना चाहिए और संसद में आकर माफी मांगना चाहिए।''

ज्ञात हो कि हाल ही में लंदन में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि भारतीय लोकतंत्र के ढांचे पर ''बर्बर हमला'' हो रहा है। उन्होंने अफसोस जताया कि अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के लोकतांत्रिक हिस्से इस पर ध्यान देने में नाकाम रहे हैं।

 कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने व्याख्यान में यह आरोप भी लगाया था कि भारत में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को नष्ट कर रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा लंदन में दिए गए बयान को लेकर बजट सत्र के दूसरे चरण के दोनों दिन संसद में भारी हंगामा हुआ और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बीच कामकाज नहीं हो सका।

सदन में विपक्ष को बोलने का पर्याप्त समय नहीं देने के कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर ठाकुर ने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की उपस्थिति सांसदों की औसत उपस्थिति से कम है। उन्होंने सवाल किया, '' जब संसद का सत्र चल रहा है तब श्रीमान राहुल गांधी कहां हैं? फिर भी वे संसद एवं सांसदों की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।''

भाजपा नेता ने कहा कि जब वे (राहुल) यात्रा पर थे तब वे गुजरात हार गए और जब वे कहीं और थे तब वे दूसरे राज्यों में पराजित हो गए। वहीं, शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि राहुल गांधी को जल्द ही अपनी पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ेगा।