MP: ग्वालियर में 1 हजार बेड वाला अस्पताल तैयार, नामकरण पर विवाद, 'बाबा साहेब या श्यामा प्रसाद' 

 

संवाददाता सुमित कुमार 

Gwalior: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में सबसे बड़ा हॉस्पिटल बन कर हुआ तैयार हुआ है. जिसमें 1000 बेड की व्यवस्था की गई हैं जिसका का निर्माण तो पूरा हो गया, लेकिन अस्पताल के नामकरण को लेकर विवाद खड़ा हो गया.

इस विवाद को लेकर सिंधिया गुट, कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने है. वहीं, बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि इस अस्पताल का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से होना चाहिए, तो वहीं कांग्रेस के नेता इस अस्पताल का नाम बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम से रखने की बात पर अड़े हुए हैं.साल 2019 में अस्पताल का भूमिपूजन कांग्रेस वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था.

दरअसल, 2019 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार में रहकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ के साथ अस्पताल का भूमिपूजन किया था. उस दौरान बीजेपी सड़क पर हंगामा कर रही थी. उस समय सिंधिया समर्थक विधायकों ओर मंत्रियों ने इस अस्पताल का नाम माधवराव सिंधिया के नाम से रखने की मांग आगे बढ़ाई थी. जैसे ही ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में पहुंचे तो उसकी कहानी ही बदल गई.

वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और अस्पताल के नामकरण का मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया. हालांकि, अब जब यह एक हजार बिस्तर का अस्पताल बन कर तैयार हो गया तो इसका नामकरण का मुद्दा एक बार फिर सामने आ गया है. नामकरण को लेकर एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने नजर आने लगी है.

इस अस्पताल के साथ ही कैंपस में 300 कमरों की धर्मशाला भी बनेगी, जिसमें रियायती दरों पर मरीजों के अटेंडरों को कमरे दिए जाएंगे. साथ ही सस्ती दरों पर भोजन व्यवस्था भी शुरू होगी. वहीं, बीजेपी के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि, एक हजार बिस्तर के अस्पताल का नाम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर होना चाहिए. जिसका समर्थन बीजेपी भी कर रही है. 

प्रदेश की पूरी सियासत नाम में ही उलझी नजर आ रही है. मानों अब लगता है कि सबकुछ नाम में ही रखा है. शहरों जगहों, गलियों, संस्थानों के नाम बदलने के बाद अब अपनों के नामों पर भी सियासत शुरू हो गयी है, लेकिन इन सबके बीच ग्वालियर का यह सबसे बड़ा 1000 बिस्तर का यह अस्पताल नामकरण को लेकर एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. यही कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने है. तो वहीं सिंधिया गुट भी इस नामकरण में अंदर ही अंदर अपनी रणनीति पर चल रहा है.