Bihar News: नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू प्रसाद यादव परिवार सहित अन्य आरोपियों को मिली जमानत
जमीन के बदले नौकरी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी और उनकी बेटी राजद सांसद मीसा भारती राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी के लिए गए थे. जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में दिल्ली कोर्ट ने पूर्व रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटी-राजद सांसद मीसा भारती और अन्य आरोपियों को जमानत दे दी.
प्रत्येक आरोपी को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया. इसके बाद लालू प्रसाद यादव-राबड़ी देवी और उनकी बेटी तथा राजद सांसद मीसा भारती राउज एवेन्यू कोर्ट से रवाना हो गए. 29 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी. राष्ट्रीय राजधानी में राउज एवेन्यू कोर्ट ने 27 फरवरी को उन्हें उस मामले में समन जारी किया था, जो लालू प्रसाद के परिवार को 2004 से 2019 तक केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में कार्य करने के दौरान दिए गए या बेचे गए भूमि पार्सल के बदले रेलवे में की गई कथित नियुक्तियों से संबंधित है. केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि रेलवे में भर्ती के लिए भारतीय रेलवे द्वारा स्थापित मानकों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए अनियमित नियुक्तियां की गई हैं.
यह आरोप लगाया जाता है कि उम्मीदवारों ने लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को बेहद कम कीमत पर बाजार की दर के पांचवें हिस्से तक सीधे या अपने करीबी रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के माध्यम से जमीन दी. सीबीआई ने इस मामले में 10 अक्टूबर, 2022 को लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी और बेटी सहित 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी और उसके बाद उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी ली गई थी. लालू परिवार के सदस्यों व एके इंफोसिस्टम्स प्रा.लि. के नाम पर जमीनें हुई थीं हस्तांतरित राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने 27 फरवरी को कहा था कि, प्रथम दृष्टया, ऑन-रिकॉर्ड रिपोर्ट से पता चलता है कि आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध किए गए हैं. न्यायाधीश ने उक्त अपराधों का संज्ञान लेते हुए आरोपी व्यक्तियों को तलब किया.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर Jaipur और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में 2004 से 2009 के दौरान बिहार के विभिन्न निवासियों को ग्रुप-डी पदों के विकल्प के रूप में नियुक्त किया गया था. उपरोक्त आरोपों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तियों ने स्वयं या उनके परिवारों ने लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर अपनी जमीन हस्तांतरित की, जिसे बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने ले लिया. सीबीआई द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि जोनल रेलवे में एवजी की नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था.