logo

CM मोहन यादव ने वीरांगना झलकारी बाई को अर्पित की श्रद्धांजलि, कही ये खास बात

 | 
CM मोहन यादव ने वीरांगना झलकारी बाई को अर्पित की श्रद्धांजलि, कही ये खास बात

MP News: वीरांगना झलकारी बाई के बलिदान दिवस पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि आपका पराक्रम और सर्वोच्च बलिदान नारी शक्ति को अनंतकाल तक देश की सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।

सीएम मोहन ने गुरुवार 4 अप्रैल को झलकारी बाई की फोटो अपने ऑफिशियल 'X' हैंडल से शेयर की। साथ ही लिखा, झलकारी की झलक देखकर, वो बुन्देले भी हांफ गए... जब उतरी वो समरभूमि में, गौरे भी थर-थर कांप गए...

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आगे लिखा कि मातृभूमि पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाली वीरांगना झलकारी बाई जी को बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आपका पराक्रम और सर्वोच्च बलिदान नारी शक्ति को अनंतकाल तक देश की सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।

बता दें कि 1857 की क्रांति में झांसी की रानी की अकेली महिला नहीं थीं, उनका साथ देने के लिए एक महिला और थीं, जिनका नाम झलकारीबाई था। झलकारी बाई न तो रानी थीं और न ही झांसी की सत्ता उनके हाथ में थी। लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए झलकारी बाई ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया।

झलकारी बाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के किले के पास रहती थीं। किले के दक्षिण में उन्नाव गेट था, जहां भोजला गांव स्थित था। इस गांव में झलकारी बाई के घराने के लोग आज भी रहते हैं। बचपन से ही साहसी झलकारी बाई ने मां के निधन के बाद पिता से घुड़सवारी और हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया।

झांसी की सेना में तैनात एक सैनिक पूरन कोरी से झलकारी बाई का विवाह हुआ था। शादी के बाद रानी लक्ष्मी बाई से एक पूजा के दौरान झलकारी बाई की मुलाकात हुई। झलकारी बाई को देख कर रानी लक्ष्मीबाई हैरान रह गईं, क्योंकि वह बिल्कुल लक्ष्मीबाई जैसी दिखती थीं। लक्ष्मीबाई ने झलकारी बाई को झांसी की सेना में शामिल कर लिया।

झलकारी बाई ने बंदूक चलाना, तलवार और तोप चलाना सीखा। अंग्रेजों ने जब झांसी के किले पर हमला किया तो सेनापतियों ने रानी लक्ष्मीबाई को किले से निकल जाने की सलाह दी। युद्ध में झलकारी बाई के पति भी शहीद हो चुके थे। झलकारी बाई ने अंग्रेजों को चकमा देने के लिए रानी लक्ष्मीबाई के कपड़े पहनें और सेना की कमान संभाल ली। अंग्रेजों को पता तक नहीं चला कि वह रानी लक्ष्मीबाई नहीं, बल्कि झलकारी बाई हैं।