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MP के सभी विश्वविद्यालय IIT-IIM की तर्ज पर बनेंगे: मुख्यमंत्री मोहन यादव

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MP के सभी विश्वविद्यालय IIT-IIM की तर्ज पर बनेंगे: मुख्यमंत्री मोहन यादव 

संवाददाता कशी नाथ

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश के सभी यूनिवर्सिटी कैंपस एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थान विश्वस्तरीय बनाए जाएं। यह सभी संस्थान आईआईटी, आईआईएम और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों की तर्ज पर विकसित किए जाएं। सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान नहीं, सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में रोजगारपरक एवं बहुउद्देश्यीय विषय एवं कोर्सेस प्रारंभ किए जाएं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग और प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में रोजगारपरक नवीन विषय प्रारंभ करने के संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में उच्च शिक्षा, आयुष, तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार, पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन, प्रमुख सचिव पशुपालन श्री उमाकांत उमराव, प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री संदीप यादव, प्रमुख सचिव खेल एवं युवक कल्याण श्री मनीष सिंह सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलगुरू, उच्च शिक्षाविद् एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में अगले सत्र से कृषि संकाय और सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन में बीटेक में डेयरी टेक्नॉलाजी का पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया है। विद्यार्थियों में इन कोर्सेस का प्रचार करें जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थी इस विषय की पढ़ाई के लिए आगे आएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विमानन क्षेत्र में बड़ा स्कोप है, इसलिए विश्वविद्यालयों में इसके पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का भी समग्र अध्ययन कराया जाए। इसके लिए इस विश्वविद्यालय को आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय बनाने पर भी गंभीरता से विचार कर निर्णय के लिए रखा जाए। उन्होंने कहा कि पाणिनी विश्वविद्यालय को आयुर्वेद विश्वविद्यालय बनाने से इस विश्वविद्यालय का परिधि क्षेत्र बढ़ेगा और प्रदेश के करीब 50 से अधिक आयुर्वेदिक महाविद्यालय इसके दायरे में आ जाएंगे। यह एक बड़ा कदम होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिये कि विश्वविद्यालयों में सभी प्रकार की भर्तियों को टाईम-फ्रेम में लाएं और जल्द से जल्द सभी प्रकार की भर्तियां एवं नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएं। इस पर अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों की पूर्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिए गए हैं। वर्तमान में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के 364 पद भरे हुए हैं और इन्हीं श्रेणी के 1585 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रचलित है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नर्सिंग एवं पैरामेडिकल महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी ली। अपर मख्य सचिव श्री राजन ने बताया कि सत्र 2025-26 में नर्सिंग कॉउंसिल द्वारा प्रवेश प्रकिया आरम्भ कर दी गई है। पैरामेडिकल कॉउंसिल द्वारा सत्र 2025-26 की मान्यता संबंधी प्रक्रिया एक माह में प्रारम्भ करने की बात कही गई है। नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों को एनओसी उच्च शिक्षा विभाग के संचालनालय स्तर पर एवं मान्यता क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि झाबुआ में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए ग्राम कल्याणपुरा में 70 एकड़ भूमि उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को आवंटित की जा चुकी है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा जिला अस्पताल झाबुआ में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के टीचिंग हास्पिटल के रूप में अनुमति देने के लिए आवेदन कर दिया गया है।

सभी विश्वविद्यालय अगले पांच साल का रोड-मैप तैयार करें

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलगुरूओं को निर्देशित किया कि वे सभी अपने विश्वविद्यालयों का अगले पांच साल का रोड-मैप तैयार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कुलगुरू अपने विश्वविद्यालयों में कृषि, उद्यानिकी, फ्लोरीकल्चर, टूरिज्म, माइनिंग, विमानन, दुग्ध उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए पशुपालन (एनिमल हस्बेंड्री) जैसे रोजगारपरक विषय एवं डिग्री पाठ्यक्रम प्रारंभ करें। उन्होंने कहा विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को ज्ञान देने के अलावा उनकी उद्यमशीलता को भी प्रोत्साहित करें। कृषि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर प्रवृत करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय यह बताएं कि उन्होंने कितने रोजगारपरक विषय खोले हैं, उनमें कितने विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया और विश्वविद्यालयों ने अपने स्तर पर कितने विद्यार्थियों को रोजगार/प्लेसमेंट उपलब्ध कराए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित औद्योगिक प्रक्षेत्रों की जरूरतों को समझें और उनकी जरूरत के अनुसार अपने यहां नए-नए एडवांस कोर्सेस प्रारंभ करें। इससे विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर ही अध्ययन के साथ-साथ रोजगार भी मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश के सभी यूनिवर्सिटी कैंपस एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थान विश्वस्तरीय बनाए जाएं। यह सभी संस्थान आईआईटी, आईआईएम और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों की तर्ज पर विकसित किए जाएं। सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान नहीं, सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में रोजगारपरक एवं बहुउद्देश्यीय विषय एवं कोर्सेस प्रारंभ किए जाएं।

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन ने बताया कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में बीबीए एविएशन का तीन वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसमें करीब 30 बच्चों ने प्रवेश लिया है। इसके अतिरिक्त बीएसी एविएशन पाठ्यक्रम बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन और चित्रकूट विश्वविद्यालय, चित्रकूट में प्रारंभ किया गया है।

अपर मुख्य सचिव श्री राजन ने बताया कि प्रदेश के सभी शासकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में 384 शोध केंद्र संचालित हैं। सौ नए शोध केंद्रो की स्थापना की जानी है। सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ की स्थापना कर दी गई है। शासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का भ्रमण कराने की योजना को महाविद्यालयों के वार्षिक कैलेण्डर में नियमित गतिविधि के रूप में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि नैक की तर्ज पर राज्य स्तरीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (सैक) का गठन हो गया है। वर्तमान वित्त वर्ष से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों एवं शासकीय स्वशासी महाविद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाओं के डिजिटल मूल्यांकन का कार्य प्रारंभ कराया जा रहा है। विश्वविद्यालयों में सभी रिक्त पदों पर भर्ती एवं नियुक्ति की कार्यवाही तेजी से जारी है।

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने बताया कि विश्वविद्यालयों में अधोसंरचना विकास के लिए संचालित प्रधानमंत्री उषा परियोजना के तहत प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों में कुल 326 करोड़ रुपए की लागत से 38 कार्य मंजूर हुए हैं। यह सभी कार्य तेजी से प्रगतिरत हैं। परियोजना से मंजूर राशि से तीन विश्वविद्यालयों में कन्या छात्रावास का निर्माण, कृषि संस्थान भवनों का विस्तारीकरण, ऑडिटोरियम निर्माण तथा प्रयोगशाला उन्नयन जैसे निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं।